पुणे न्यूज डेस्क: महाराष्ट्र में 300 करोड़ रुपये के एक कथित भूमि घोटाले को लेकर राजनीतिक माहौल गरम हो गया है। यह मामला उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार से जुड़ी एक कंपनी — अमादिया इंटरप्राइजेज एलएलपी — से संबंधित है। पुणे के मुंधवा इलाके में 40 एकड़ सरकारी जमीन को इस निजी कंपनी को बेचे जाने के आरोप लगे हैं, जिसमें भारी अनियमितताओं की बात कही जा रही है। मामले के गंभीर होते ही सरकार ने उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं और तीन लोगों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई है।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस मामले को “प्रथम दृष्टया गंभीर” बताते हुए संबंधित विभागों से रिपोर्ट तलब की है। जांच समिति की कमान अतिरिक्त मुख्य सचिव (राजस्व) विकास खर्गे को सौंपी गई है। वहीं, सब-रजिस्ट्रार आर.बी. तारू को निलंबित कर दिया गया है, जिन पर बिना अनुमति दस्तावेज पंजीकृत करने और खजाने को नुकसान पहुंचाने का आरोप है। अधिकारियों के मुताबिक, जमीन सरकारी “महार वतन” श्रेणी की थी, जिसे किसी निजी कंपनी को बेचना नियमों के खिलाफ है, फिर भी इसे मात्र 500 रुपये की स्टांप ड्यूटी पर पंजीकृत कर दिया गया।
अजित पवार ने खुद को इस पूरे मामले से अलग बताया और कहा कि उन्हें इस डील के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। उन्होंने कहा, “मैंने पहले ही निर्देश दिए थे कि किसी भी गलत गतिविधि में शामिल न हों। अगर कोई गलती हुई है, तो मुख्यमंत्री जांच करें।” वहीं, भाजपा नेता नितेश राणे ने कहा कि मुख्यमंत्री फडणवीस भ्रष्टाचार पर ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति पर काम कर रहे हैं और कोई भी दोषी बच नहीं पाएगा। उद्योग मंत्री उदय सामंत ने भी पार्थ पवार का बचाव किया और कहा कि “उनके दस्तावेज पूरी तरह वैध हैं।”
दूसरी ओर, विपक्ष ने सरकार पर तीखा हमला बोला है। कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने न्यायिक जांच की मांग करते हुए आरोप लगाया कि “फाइल को कुछ ही घंटों में मंजूरी दी गई और 21 करोड़ की स्टांप ड्यूटी माफ कर दी गई।” शिवसेना (उद्धव) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी निशाना साधते हुए कहा कि “यह जांच महज औपचारिकता होगी और अंत में दोषियों को क्लीन चिट दे दी जाएगी।”