पुणे न्यूज डेस्क: पुणे पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार ने 2024 में हुई पोर्श दुर्घटना पर बात करते हुए कहा कि यह केस पूरे शहर में फैले सिस्टमैटिक करप्शन को उजागर करने वाला था। यह टिप्पणी उन्होंने बुधवार को मॉडर्न कॉलेज ऑफ आर्ट्स, साइंस एंड कॉमर्स में ‘नशा मुक्त भारत अभियान’ के कार्यक्रम में की।
पुणे में मई 2024 में एक 17 वर्षीय लड़के ने कथित तौर पर नशे में तेज रफ्तार पोर्श कार चला कर बाइक को टक्कर मार दी थी, जिसमें दो आईटी पेशेवरों की मौत हो गई। पुलिस जांच में सामने आया कि नाबालिग के खून के सैंपल में भी छेड़छाड़ की गई थी। उसकी मां के सैंपल के साथ उसका सैंपल बदल दिया गया, ताकि साबित किया जा सके कि वह नशे में नहीं था। इस मामले में नाबालिग के माता-पिता, दो डॉक्टर और एक अस्पताल कर्मचारी गिरफ्तार हुए थे।
कमिश्नर ने स्वीकार किया कि जांच में पुलिस का काम भी आदर्श नहीं रहा। येरवडा पुलिस स्टेशन के अधिकारियों के आचरण और VIP ट्रीटमेंट के आरोप भी उठे। शुरुआत में केस आईपीसी 304ए (लापरवाही से मौत) में दर्ज किया गया था, बाद में इसे 304 (गैर इरादतन हत्या) में बदला गया। खून के सैंपल देर से लेने और तत्कालीन विधायक से जुड़ाव जैसी वजहों से केस में विवाद पैदा हुआ। इस मामले में पुलिस के दो अधिकारी भी सस्पेंड किए गए थे।
कार्यक्रम में कमिश्नर ने नाबालिगों में शराब और तंबाकू के सेवन के खतरे पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि छात्रों का सहयोग नशे की लत कम करने में महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि किसी भी शैक्षणिक संस्थान के 100 गज के दायरे में तंबाकू की दुकानें चलाना प्रतिबंधित है। छात्रों को चेतावनी दी कि अगर ऐसी दुकानें हों तो पुलिस से संपर्क करें, और कार्रवाई न होने पर कमिश्नर कार्यालय में विरोध प्रदर्शन करने का अधिकार भी उन्हें मिलेगा।