पुणे न्यूज डेस्क: महाराष्ट्र के पुणे में हुए पोर्शे हादसे से जुड़ा मामला एक बार फिर चर्चा में है। इस दिल दहला देने वाले केस में दो लोगों की मौत के बाद अब महाराष्ट्र सरकार ने सख्त कदम उठाया है। महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल (MMC) ने ससून जनरल अस्पताल के दो डॉक्टरों – डॉ. अजय तावरे और डॉ. श्रीहरि हलनोर – के मेडिकल रजिस्ट्रेशन को रद्द कर दिया है। इन दोनों पर नाबालिग आरोपी के ब्लड सैंपल के साथ हेरफेर करने का आरोप है।
डॉ. तावरे, जो अस्पताल के फॉरेंसिक विभाग के पूर्व प्रमुख रहे हैं, और डॉ. हलनोर, जो उस वक्त कैजुअल्टी मेडिकल ऑफिसर थे, दोनों ही इस समय जेल में बंद हैं। आरोप है कि एक्सीडेंट करने वाले नाबालिग लड़के का असली ब्लड सैंपल बदलकर उसकी मां का सैंपल रिपोर्ट में भेजा गया, ताकि यह साबित किया जा सके कि वह नशे में नहीं था। जांच में यह भी सामने आया कि इस हेरफेर के लिए पैसे दिए गए थे, जिनका लेन-देन अस्पताल के एक मर्चरी कर्मचारी के जरिए हुआ था।
महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल के एडमिनिस्ट्रेटर डॉ. विंकी रुघवानी ने बताया कि जब तक जांच पूरी नहीं होती, दोनों डॉक्टरों का मेडिकल प्रैक्टिस करने का अधिकार खत्म कर दिया गया है। यह कार्रवाई पुणे पुलिस और मेडिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट से मिली रिपोर्ट्स के आधार पर की गई है। दोनों डॉक्टरों को पहले ही अस्पताल ने सस्पेंड कर दिया था, लेकिन अब आधिकारिक तौर पर उनका लाइसेंस भी रद्द कर दिया गया है।
गौरतलब है कि यह हादसा 19 मई 2024 को हुआ था, जब एक पोर्शे कार ने दो सॉफ्टवेयर इंजीनियरों को टक्कर मार दी थी। गाड़ी चला रहा लड़का नाबालिग था और उसका परिवार प्रभावशाली माना जाता है। पुलिस ने लड़के के माता-पिता, दो बिचौलियों, और अस्पताल कर्मियों सहित कई लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। यह मामला अब सिर्फ एक सड़क दुर्घटना नहीं रह गया है, बल्कि सिस्टम में फैले भ्रष्टाचार और मिलीभगत का बड़ा उदाहरण बन गया है।