पुणे न्यूज डेस्क: पुणे में रहने वाले एक दंपति की जिंदगी अपने घर, नौकरी और दो प्यारी बेटियों के साथ शांत थी। लेकिन उनकी बेटियों की गंभीर बीमारियों ने इस परिवार को झकझोर कर रख दिया। एक बेटी को एलोपेशिया (सिर के बाल झड़ना) और दूसरी को गंभीर स्वास्थ्य समस्या थी। इलाज, डॉक्टर और दवाइयां सब कुछ आजमाया गया, लेकिन कोई राहत नहीं मिली। यहीं से शुरू होती है एक कहानी जो अंधविश्वास और धोखाधड़ी तक ले जाती है।
जानकारी के अनुसार, एक पड़ोसी के माध्यम से इस कपल की मुलाकात वेदिका कुणाल पंढरपुरकर से हुई। वेदिका खुद को साधारण महिला नहीं बल्कि पुण्यात्मा से जुड़ा बताती थी और कहती थी कि उनकी बेटियों को ठीक करने के लिए त्याग और दान जरूरी है। दंपति ने उम्मीद की किरण देखी और धीरे-धीरे वेदिका ने उनके मन पर नियंत्रण करना शुरू कर दिया।
धीरे-धीरे, वेदिका, उसके पति कुणाल और साथी दीपक खडके ने इस कपल को विश्वास के जाल में फंसा दिया। उन्होंने छोटे घर से लेकर खेत, जमीन और विदेश में प्रॉपर्टी तक बेची। बच्चों को ठीक करने की आड़ में उन्होंने बैंक से कर्ज लिया और करोड़ों रुपये ट्रांसफर कराए। तीन साल में यह रकम 14 करोड़ तक पहुँच गई। जब माता-पिता ने इलाज के बारे में सवाल किया, तो वेदिका ने कहा कि आस्था कम है, इसलिए चमत्कार नहीं हो रहा।
आखिरकार, माता-पिता ने साहस दिखाकर पुणे पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार से संपर्क किया और पूरी कहानी और सबूत साझा किए। पुलिस ने बताया कि वेदिका और उसके साथी मानसिक रूप से नियंत्रण करके सम्पत्ति हड़प रहे थे। अब FIR दर्ज कर जांच शुरू हो गई है। यह मामला सिर्फ पैसे का नहीं, बल्कि विश्वास टूटने और अंधविश्वास की शक्ति का भी सवाल उठाता है।