पुणे न्यूज डेस्क: महाराष्ट्र एटीएस ने पुणे के रहने वाले प्रशांत जलिंदर कांबले को गिरफ्तार किया है, जो पिछले 15 साल से लापता था। पुलिस के मुताबिक, कांबले माओवादी संगठन से जुड़ा हुआ था और उसे ‘लैपटॉप’ नाम से जाना जाता था। ठाणे यूनिट ने 2011 में कांबले पर भारतीय दंड संहिता और यूएपीए एक्ट के तहत मामला दर्ज किया था। इतने वर्षों की तलाश के बाद आखिरकार एटीएस ने उसे पुणे से पकड़ा और ठाणे पुलिस के हवाले कर दिया।
माओवादी नेताओं से रहा संपर्क, 7 दिन की पुलिस हिरासत
रविवार को कांबले को ठाणे की अदालत में पेश किया गया, जहां उसे सात दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। पुलिस सूत्रों का कहना है कि वह माओवादी केंद्रीय समिति के सदस्य मिलिंद उर्फ दीपक तेलतुम्बे के साथ मिलकर काम करता था, जिसे 2021 में गढ़चिरौली में मुठभेड़ में मारा गया था। कांबले का नाम माओवादी गतिविधियों से जुड़े एक बड़े नेटवर्क में सामने आया है।
पुणे की झोपड़पट्टी में छिपकर रह रहा था 'लैपटॉप'
पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, कांबले पुणे के ताड़ीवाला रोड की झुग्गियों में अपने परिवार के साथ रह रहा था और उसने पुणे के एक कॉलेज से पढ़ाई की थी। वह सांस्कृतिक संगठन कबीर कला मंच से भी जुड़ा था, जिसे पुलिस ने माओवादियों का फ्रंट संगठन बताया है। 2010 में कांबले कंप्यूटर रिपेयरिंग के नाम पर मुंबई गया और फिर लौटकर कभी नहीं आया। परिवार ने बाद में उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
भाई को किया था नक्सली बनने की जानकारी का फोन
2011 में एटीएस को दिए गए बयान में कांबले के भाई ने बताया कि लापता होने के कुछ दिन बाद कांबले ने फोन कर कहा था, “मैं अब नक्सलियों में शामिल हो गया हूं, जंगलों में उनके साथ काम कर रहा हूं। हथियारों की ट्रेनिंग भी ले चुका हूं और अपना कंप्यूटर ज्ञान उनके लिए इस्तेमाल कर रहा हूं। अब वापसी का कोई रास्ता नहीं है।” कांबले के साथ ही संतोष शेलार नामक युवक भी लापता हुआ था, दोनों पर एक ही केस दर्ज हुआ था और माना जाता है कि ये दोनों माओवादी संगठन में शामिल हो गए थे।