पुणे न्यूज डेस्क: पुणे नगर निगम में उस वक्त हंगामा खड़ा हो गया जब महाविकास अघाड़ी और मनसे के कार्यकर्ताओं ने नगर आयुक्त के सरकारी आवास से सामान गायब होने को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। यह आरोप लगाया गया कि सेवानिवृत्त नगर आयुक्त राजेंद्र भोसले आवास खाली करते समय सरकारी सामान जैसे झूमर, प्राचीन लैंप, एसी और टीवी सेट अपने साथ ले गए। इसी मुद्दे को लेकर मनसे और एनसीपी (एसपी) के कार्यकर्ताओं ने PMC कार्यालय का घेराव किया और हंगामा शुरू कर दिया।
प्रदर्शन के दौरान कार्यकर्ता नगर आयुक्त नवल किशोर राम के कार्यालय में घुस गए, जब वे बैठक कर रहे थे। इस पर नगर आयुक्त और कार्यकर्ताओं के बीच तीखी बहस हुई। मनसे नेता किशोर शिंदे ने जब मराठी में बात करने की मांग की, तो मामला और बढ़ गया। सुरक्षाकर्मियों को介बचाव करना पड़ा और सभी कार्यकर्ताओं को कार्यालय से बाहर निकाल कर पुलिस के हवाले किया गया।
पुलिस ने इस मामले में मनसे नेता किशोर शिंदे और उनके समर्थकों के खिलाफ आईपीसी की धारा 132 के तहत केस दर्ज किया है। उन्हें शिवाजीनगर थाने ले जाया गया। दूसरी ओर, नगर निगम के कर्मचारियों ने मनसे के विरोध में प्रदर्शन किया। यह विवाद अब केवल सामान चोरी तक सीमित नहीं रहा, बल्कि भाषा, जनप्रतिनिधियों के सम्मान और प्रशासनिक कार्यशैली पर भी सवाल खड़े कर गया।
पूर्व आयुक्त राजेंद्र भोसले ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि उन्होंने कोई भी गैर-सरकारी सामान नहीं लिया है। वहीं, वर्तमान आयुक्त ने पूरे मामले की जांच के आदेश दिए हैं। कांग्रेस ने भी इस मुद्दे पर मनसे नेता को 'गुंडा' कहे जाने को लेकर नगर आयुक्त की आलोचना की है, जिससे मामला राजनीतिक रूप से और गर्मा गया है।