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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एशिया के दूसरे सबसे बड़े इस्कॉन मंदिर का किया उद्घाटन, जानिए पूरा मामला

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Posted On:Wednesday, January 15, 2025

मुंबई, 15 जनवरी, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवी मुंबई में एशिया के दूसरे सबसे बड़े इस्कॉन मंदिर का उद्घाटन किया। यह मंदिर 9 एकड़ में फैला है। मोदी ने कहा कि भारत को समझने के लिए अध्यात्म को आत्मसात करना होगा। उन्होंने कहा कि सेवा ही सच्चे सेक्युलरिज्म का प्रतीक है। सरकार भी इस्कॉन की तरह सेवा के भाव से काम कर रही है। PM ने कहा, जब देश गुलामियों की बेड़ियों में जकड़ा था, तब प्रभुपाद जी स्वामी इस्कॉन जैसा मिशन शुरू किया। इस मंदिर में भी अध्यात्म और सभी परंपरा के दर्शन होते हैं। यहां रामायण, महाभारत का म्यूजियम बनाया जा रहा है।

उन्होंने कहा, भारत एक जीवंत धरती है, जीवंत संस्कृति है। इस संस्कृति की चेतना है यहां का अध्यात्म। इसलिए भारत को समझना है, तो हमें पहले अध्यात्म को आत्मसात करना होता है। इस्कॉन जिस तरह से सेवा के भाव से काम कर रही है, हमारी सरकार भी ऐसे ही काम कर रही है। सेवा की यही भावना सच्चा सामाजिक न्याय लाती है। सेवा ही सच्चे सेक्युलरिज्म का प्रतीक है। हमारी सरकार कृष्णा सर्किट के माध्यम से देश के अलग-अलग तीर्थों और धार्मिक स्थानों को जोड़ रही है। इस सर्किट का विस्तार गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और ओडिशा तक है। वृन्दावन के 12 जंगलों का प्रतिरूप बनाया जा रहा है। मेरे जीवन में प्रभुपाद जी स्वामी का अलग स्थान है। जब सबसे बड़ी गीता का के संस्करण लोकार्पण के वक्त मुझे बुलाया था। उसका फल मुझे मिला। जब देश गुलामियों की बेड़ियों में जकड़ा था तब उन्होंने इस्कॉन जैसा मिशन शुरू किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे कहा, इस मौके पर मुझे परम श्रद्धेय गोपालकृष्ण गोस्वामी महाराज का भावुक स्मरण भी हो रहा है। इस प्रोजेक्ट में उनका विजन जुड़ा हुआ है। भगवान श्रीकृष्ण के प्रति उनकी अगाध भक्ति का आशीर्वाद जुड़ा हुआ है।। आज वो भौतिक शरीर से भले ही यहां न हो, लेकिन उनकी आध्यात्मिक उपस्थिति हम सब महसूस कर रहे हैं। दुनियाभर में फैले इस्कॉन के अनुयायी भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति की डोर से बंधे हैं। उन सबको एक-दूसरे से कनेक्ट रखने वाला एक और सूत्र है, जो 24 घंटे हर भक्त को दिशा दिखाता रहता है। ये श्रीला प्रभुपाद स्वामी के विचारों का सूत्र है। उन्होंने उस समय वेद-वेदांत और गीता के महत्व को आगे बढ़ाया, जब देश गुलामी की बेड़ियों में जकड़ा था। उन्होंने भक्ति वेदांत को जनसामान्य की चेतना से जोड़ने का अनुष्ठान किया।


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