हरियाणा कैडर के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी (ADGP) पूरन कुमार के कथित सुसाइड मामले में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। सूत्रों का दावा है कि मृतक अधिकारी ने अपने 8 पेज के सुसाइड नोट में 10 आईपीएस अधिकारियों पर गंभीर उत्पीड़न (Harassment) का आरोप लगाया है। इस सनसनीखेज आरोप के बाद अब इस हाई-प्रोफाइल केस पर सीधे सरकार की नजर है, और सुसाइड नोट की जांच से कई बड़े चेहरों से नकाब हट सकता है।
फोरेंसिक जांच पर टिकी सबकी निगाहें
पूरन कुमार का 8 पेज का सुसाइड नोट फिलहाल फोरेंसिक लैब में जांच के लिए भेजा गया है। पुलिस और प्रशासन दोनों को फोरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार है, जिसके बाद ही सुसाइड नोट की प्रामाणिकता और उसमें लिखे गए आरोपों की स्थिति स्पष्ट होगी।
यह मामला केवल आत्महत्या तक सीमित नहीं है, बल्कि इसने सीधे हरियाणा पुलिस सिस्टम की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं:
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उत्पीड़न के आरोप: एक तरफ सुसाइड नोट में 10 आईपीएस अधिकारियों के नाम होने की बात सामने आ रही है, जिन पर पूरन कुमार को प्रताड़ित करने का आरोप है।
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रिश्वत कांड: दूसरी तरफ, इस मामले की जांच में पूरन कुमार के गनमैन सुशील कुमार का नाम भी एक रिश्वत कांड में सामने आया है, जिसकी एक ऑडियो क्लिप भी राजनीतिक गलियारों में चर्चा में है।
ये दोनों ही मामले सीधे तौर पर हरियाणा पुलिस के सिस्टम पर सवाल खड़े करते हैं, क्योंकि जो पुलिस जनता की सुरक्षा के लिए जानी जाती है, वह अब खुद पर लगे आरोपों की सफाई देने में लगी है।
आखिर क्यों दे दी जान?
जांचकर्ता इस बात की तह तक जाने की कोशिश कर रहे हैं कि सीनियर आईपीएस पूरन कुमार किस वजह से इतने नाराज और परेशान थे कि उन्होंने अपनी जान तक दे दी। राजनीतिक गलियारों में उत्पीड़न और गनमैन द्वारा रिश्वत मांगने की घटना दोनों ही प्रमुख चर्चा का विषय हैं।
सूत्रों का दावा है कि पूरन कुमार, जो कई प्राइम पोस्टिंग पर रह चुके थे, को एक साजिश के तहत परेशान किया जा रहा था। सुसाइड नोट में इस बात का स्पष्ट जिक्र है। आरोप है कि इस उत्पीड़न में कुछ सीनियर अधिकारी के अलावा कुछ एसपी रैंक के अधिकारी भी शामिल हैं।
यदि फोरेंसिक रिपोर्ट सुसाइड नोट में दर्ज नामों की पुष्टि करती है, तो हरियाणा की पुलिस और राजनीतिक गलियारों में बड़ा भूचाल आ सकता है। यह मामला दिखाता है कि पुलिस विभाग के भीतर ही अधिकारियों के बीच किस तरह के गहरे संघर्ष और तनाव मौजूद हो सकते हैं।