नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य कांग्रेस नेताओं के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने के बाद से कांग्रेस में हलचल मच गई है। इस चार्जशीट को लेकर पार्टी ने बुधवार को देशव्यापी प्रदर्शन की घोषणा की है। कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए इसे राजनीतिक बदला लेने का प्रयास बताया और सभी प्रदेश कांग्रेस समितियों को निर्देश जारी किए हैं कि वे अपने-अपने राज्यों में ईडी कार्यालय के बाहर प्रदर्शन करें।
कांग्रेस का विरोध
कांग्रेस ने चार्जशीट को लेकर कहा कि यह पूरी प्रक्रिया राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा है और इसे चुनावी फायदे के लिए किया जा रहा है। पार्टी ने यह भी कहा कि इसके जरिए सरकार विपक्षी नेताओं को डराने-धमकाने का प्रयास कर रही है। कांग्रेस के वरिष्ठ अधिवक्ता और सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने ईडी की चार्जशीट पर प्रतिक्रिया देते हुए इसे "फेक मामला" करार दिया।
उन्होंने कहा, "नेशनल हेराल्ड के मामले में जो प्रक्रियाएं हो रही हैं, वो नई नहीं हैं, क्योंकि जब यह केस शुरू हुआ था, तब हमने कहा था कि यह बड़ा विचित्र मामला है। यह केस बिना एक रुपये के स्थानांतरण के शुरू हुआ है।"
सिंघवी ने कहा कि इस मामले में कोई भी वित्तीय दुरुपयोग या धोखाधड़ी नहीं हुई है। उन्होंने इसे एक मनगढ़ंत केस बताया और कहा कि इसका उद्देश्य केवल राजनीतिक दबाव बनाना है।
जयराम रमेश का बयान
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने भी इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि नेशनल हेराल्ड की संपत्तियों को जब्त करना एक राज्य प्रायोजित अपराध है, जो कानून के शासन के नाम पर हो रहा है।
उन्होंने आरोप लगाया कि यह सब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की बदले की राजनीति का हिस्सा है। जयराम रमेश ने कहा, "सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल करना, केवल डराने-धमकाने का एक प्रयास है, जो बदले की राजनीति को दर्शाता है।"
रमेश ने यह भी स्पष्ट किया कि कांग्रेस और उसका नेतृत्व चुप नहीं बैठेगा, और इस मामले को लेकर उनका विरोध जारी रहेगा।
दानिश अली का जवाब
कांग्रेस नेता कुंवर दानिश अली ने भी इस मामले पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि पार्टी और इसके कार्यकर्ता इस तरह की धमकियों से नहीं डरेंगे। दानिश अली ने यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी सिर्फ कोर्ट में इसका जवाब देगी, लेकिन उन्हें इस राजनीतिक साजिश से डरने की कोई आवश्यकता नहीं है।
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार अपनी कमियों को छिपाने के लिए हर दिन एक नया फॉर्मूला लेकर आती है, और कांग्रेस के नेताओं को डराने के लिए इस मामले को तूल दिया जा रहा है।
क्या है नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामला?
यह मामला नेशनल हेराल्ड नामक समाचार पत्र और इसके प्रकाशक एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) के खिलाफ 2012 में दाखिल याचिका से जुड़ा है। याचिका में आरोप लगाया गया था कि कांग्रेस के नेताओं ने यंग इंडियन लिमिटेड (YIL) के जरिए AJL की संपत्ति का अधिग्रहण किया और इस प्रक्रिया में वित्तीय अनियमितताओं की गईं।
याचिका में आरोप है कि कांग्रेस नेताओं ने नेशनल हेराल्ड के लिए 90 करोड़ रुपये का लोन लिया और बाद में उसे माफ कर दिया, जिससे यंग इंडियन को AJL की 99% संपत्ति मिल गई। इसी को लेकर सुब्रमण्यम स्वामी ने 2012 में याचिका दायर की थी, जो अब तक कानूनी प्रक्रिया में है।
कांग्रेस का रुख
कांग्रेस का कहना है कि यह एक राजनीतिक साजिश है और सरकार ने इसे दुरुपयोग के रूप में पेश किया है। पार्टी का दावा है कि विपक्षी नेताओं के खिलाफ एजेंसियों का इस्तेमाल करके सरकार अपनी नाकामियों को छिपा रही है और विपक्ष को दबाने की कोशिश कर रही है।
कांग्रेस के प्रदर्शन का उद्देश्य सिर्फ ईडी की कार्रवाई के खिलाफ विरोध नहीं है, बल्कि यह सरकार की राजनीतिक रणनीति का भी विरोध है, जिसे कांग्रेस का मानना है कि यह भारतीय लोकतंत्र के लिए खतरनाक हो सकता है।
निष्कर्ष
नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कांग्रेस पार्टी का विरोध तेज हो गया है और यह मामला कानूनी, राजनीतिक और समाजिक रूप से महत्वपूर्ण बन गया है। अब यह देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर क्या निर्णय लेता है और कांग्रेस के विरोध के बाद सरकार इस पर किस प्रकार प्रतिक्रिया देती है।