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पेट्रोल-डीजल के रेट में गिरावट के आसार क्यों? कच्चे तेल के दामों से जगी उम्मीद

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Posted On:Tuesday, May 6, 2025

कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट का सीधा असर पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर पड़ सकता है, और इस समय तेल बाजार में जो गिरावट देखी जा रही है, वह पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में कमी का संकेत देती है। वर्तमान में कच्चे तेल के दाम 60 डॉलर प्रति बैरल से भी नीचे आ गए हैं, जो पिछले कुछ महीनों से एक महत्वपूर्ण गिरावट है। ओपेक+ (OPEC+) देशों द्वारा तेल की आपूर्ति बढ़ाने के फैसले के बाद वैश्विक तेल बाजार में कीमतों में कमी आई है।

कच्चे तेल की गिरती कीमतें और भारत पर प्रभाव
कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आने के बाद, उम्मीद जताई जा रही है कि भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में भी कमी आ सकती है। हालांकि, अभी तक भारत में पेट्रोल और डीजल के दामों में कोई बदलाव नहीं हुआ है, लेकिन तेल कंपनियों की नज़र लगातार बाजार पर बनी रहती है, और समय-समय पर वे अपनी कीमतों को अपडेट करती हैं।

भारत में विभिन्न शहरों में पेट्रोल और डीजल की कीमतें अलग-अलग होती हैं, और इसका मुख्य कारण परिवहन लागत, टैक्स और अन्य स्थानीय खर्च होते हैं। उदाहरण के तौर पर, पोर्ट ब्लेयर में फिलहाल सबसे सस्ता पेट्रोल और डीजल मिल रहा है। यहां पेट्रोल की कीमत 82 रुपये 46 पैसे प्रति लीटर है, जबकि डीजल की कीमत 78.05 रुपये प्रति लीटर है।

इसके विपरीत, राजधानी दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 94.77 रुपये प्रति लीटर और डीजल 87.67 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है। इससे साफ है कि पेट्रोल और डीजल के दाम क्षेत्रीय भिन्नताओं के आधार पर अलग-अलग होते हैं, जो कई कारणों से प्रभावित होते हैं, जैसे टैक्स, परिवहन लागत और बाजार की आपूर्ति-डिमांड की स्थिति।

ओपेक+ का निर्णय और उसके प्रभाव
ओपेक+ (OPEC+) देशों के समूह ने हाल ही में तेल उत्पादन बढ़ाने का निर्णय लिया, जो सीधे तौर पर वैश्विक तेल बाजार में कीमतों पर प्रभाव डाल रहा है। ओपेक+ देशों द्वारा तेल आपूर्ति बढ़ाने का निर्णय लिया गया था, जिसका असर यह पड़ा कि कच्चे तेल के दामों में गिरावट आई है। वैश्विक स्तर पर अमेरिकी कच्चे तेल (WTI) के दामों में 4 फीसदी की गिरावट आई है, जबकि ब्रेंट क्रूड की कीमतें 3.79 फीसदी घटकर 58.79 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई हैं।

इसका मतलब है कि तेल की आपूर्ति बढ़ने से कीमतों में कमी आ रही है, जो सीधे तौर पर पेट्रोल और डीजल की कीमतों में गिरावट की उम्मीद को बल दे रहा है। यह गिरावट वैश्विक बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धा और आपूर्ति की स्थिरता को बढ़ावा दे सकती है, जिससे तेल उत्पादक देशों और कंपनियों के लिए कीमतों को घटाना संभव हो सकता है।

अप्रैल में तेल की खपत और डिमांड
अप्रैल 2025 में तेल की डिमांड में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। अप्रैल में डीजल की डिमांड में 4 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हुई है। पिछले कुछ महीनों के मुकाबले तेल की खपत में यह बढ़ोतरी साफ तौर पर दिख रही है। अप्रैल 2025 में तेल की कुल खपत 82.3 लाख टन के करीब पहुंच गई, जो पिछले साल के मुकाबले 4 प्रतिशत अधिक थी। पिछले साल अप्रैल में चुनावी सीजन था, जिससे पेट्रोल की खपत में 19 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज हुई थी।

यह आंकड़ा दर्शाता है कि देश में तेल की मांग स्थिर बनी हुई है और बढ़ रही है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत हो सकता है। हालांकि, कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के बावजूद, भारतीय बाजार में इसके सीधे प्रभाव के लिए तेल कंपनियों के निर्णयों और सरकार की नीतियों पर निर्भर करेगा।

क्या पेट्रोल और डीजल की कीमतों में गिरावट संभव है?
हालांकि कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट हो रही है, लेकिन पेट्रोल और डीजल की कीमतों में तत्काल गिरावट की संभावना पूरी तरह से नकारा नहीं जा सकती। भारतीय सरकार और तेल कंपनियां अक्सर बाजार स्थितियों के आधार पर कीमतों को संशोधित करती हैं। यदि कच्चे तेल की कीमतें और अधिक गिरती हैं और आपूर्ति में कोई समस्या नहीं आती है, तो उम्मीद की जा सकती है कि पेट्रोल और डीजल की कीमतों में गिरावट देखी जा सकती है।

वर्तमान में, भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर राज्य सरकारों द्वारा लगाए गए वैट और अन्य करों का भी बड़ा प्रभाव पड़ता है। इसके कारण, भले ही कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आए, पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में उतनी बड़ी गिरावट देखने को नहीं मिलती। हालांकि, अगर कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट बनी रहती है, तो आने वाले महीनों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी संभव है।

निष्कर्ष
कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के बावजूद, पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी के लिए हमें इंतजार करना पड़ सकता है। हालांकि, ओपेक+ के फैसले और वैश्विक आपूर्ति की स्थिति को देखते हुए, उम्मीद है कि आने वाले दिनों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में गिरावट हो सकती है। इसके अलावा, तेल की खपत और डिमांड भी बाजार की स्थिति को प्रभावित करेगी, जिससे कीमतों में और भी बदलाव हो सकता है।


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