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ईरानी मिसाइल हमलों से अडाणी के हाइफा पोर्ट पर नहीं पड़ा कोई असर, ऑपरेशन नॉर्मल!

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Posted On:Monday, June 16, 2025

शनिवार देर रात ईरान ने इज़राइल के हाइफा बंदरगाह और एक तेल रिफाइनरी पर मिसाइलें दागीं। यह हमला इज़राइल द्वारा बीते सप्ताह ईरानी परमाणु और सैन्य ठिकानों पर किए गए हमले के जवाब में किया गया। सूत्रों के अनुसार, कुछ शार्पनेल (मिसाइल छर्रे) हाइफा बंदरगाह के केमिकल टर्मिनल में गिरे और अन्य प्रोजेक्टाइल पास की तेल रिफाइनरी तक पहुंचे, लेकिन इनसे कोई बड़ी क्षति नहीं हुई।

अडाणी पोर्ट्स पर कोई असर नहीं

सूत्रों के अनुसार, अडाणी द्वारा संचालित हाइफा पोर्ट में फिलहाल 8 जहाज लोडिंग और अनलोडिंग कार्य में लगे हुए हैं और सभी गतिविधियां पूरी तरह सामान्य हैं। बंदरगाह के परिचालन या संरचना को कोई सीधा नुकसान नहीं पहुंचा है। किशन वेस्ट टर्मिनल के पास शार्पनेल का एक टुकड़ा जरूर मिला, लेकिन इससे कोई क्षति नहीं हुई।

हाइफा पोर्ट का अडाणी ग्रुप में योगदान

हाइफा पोर्ट इज़राइल का एक महत्वपूर्ण समुद्री केंद्र है, जो देश के कुल आयात का लगभग 30 प्रतिशत संभालता है। इसका 70% स्वामित्व भारत के अडाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन लिमिटेड (APSEZ) के पास है। हालांकि, अडाणी ग्रुप के कुल राजस्व में हाइफा पोर्ट का योगदान लगभग 5 प्रतिशत ही है और यह कुल माल हैंडलिंग में 2 प्रतिशत से भी कम हिस्सेदारी रखता है।

अडाणी ग्रुप ने प्रतिक्रिया देने से किया इनकार

हमले के बाद अडाणी ग्रुप की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, और न ही इज़राइली सरकार ने हमले के प्रभाव पर कोई टिप्पणी की है। मगर स्थिति पर करीबी नजर रखी जा रही है और यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि बंदरगाह का संचालन निर्बाध रूप से चलता रहे।

इज़राइल-ईरान संघर्ष: एक लंबा खिंचता टकराव

इज़राइल और ईरान के बीच टकराव लगातार तीसरे दिन भी जारी रहा। इज़राइल ने शुक्रवार को ईरान पर हमला कर उसके मिसाइल और सैन्य इंफ्रास्ट्रक्चर को निशाना बनाया। इसके जवाब में ईरान ने कई मिसाइलें इज़राइल पर दागीं, जिनमें से कुछ इज़राइल के हवाई सुरक्षा तंत्र को चकमा देकर देश के मध्य हिस्से तक पहुंच गईं और इमारतों पर नुकसान पहुंचाया।

वैश्विक प्रभाव की आशंका

इस संघर्ष का प्रभाव केवल क्षेत्रीय नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी देखने को मिल सकता है। ईरान ने आरोप लगाया है कि इज़राइल ने उसकी दो तेल रिफाइनरियों को नुकसान पहुंचाया है, जिससे पहले से प्रतिबंधों से जूझ रहे ईरानी ऊर्जा क्षेत्र को और झटका लग सकता है। यदि संघर्ष और गहराता है, तो इससे वैश्विक तेल आपूर्ति और व्यापारिक मार्गों पर प्रभाव पड़ने की आशंका जताई जा रही है।

भारत की दृष्टि से क्या है अहमियत?

भारत के लिए यह घटना कई कारणों से महत्वपूर्ण है। सबसे पहले, गौतम अडाणी जैसे बड़े कारोबारी की वैश्विक परियोजना पर इस संघर्ष का असर न होना राहत की बात है। दूसरा, मध्य पूर्व भारत के ऊर्जा आयात और प्रवासी भारतीयों के लिए एक अहम क्षेत्र है। अगर यह संघर्ष बढ़ता है, तो इससे भारत की आर्थिक और कूटनीतिक रणनीतियों पर असर पड़ सकता है।

निष्कर्ष

इज़राइल-ईरान तनाव के बीच हाइफा पोर्ट पर अडाणी ग्रुप की निरंतर और सुरक्षित गतिविधियां यह दर्शाती हैं कि कंपनी ने वैश्विक खतरों से निपटने के लिए पर्याप्त सुरक्षा और ऑपरेशनल मजबूती विकसित की है। हालांकि, क्षेत्र में जारी संघर्ष की अनिश्चितता को देखते हुए यह कहना कठिन है कि यह स्थिरता कब तक बनी रहेगी। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि संघर्ष का रुख क्या रहता है और इसका वैश्विक व्यापार पर क्या असर पड़ता है।


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