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महाकुंभ के बाद पुरी रथ यात्रा में प्रसाद वितरण सेवा, अडाणी ग्रुप ने की शुरुआत

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Posted On:Friday, June 27, 2025

इस वर्ष की शुरुआत में प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ मेले में श्रद्धालुओं को प्रसाद और भोजन सेवा के बाद अब अडाणी ग्रुप ने देश की एक और महान धार्मिक परंपरा – पुरी रथ यात्रा 2025 में अपनी सामाजिक और आध्यात्मिक भागीदारी को मजबूत किया है।

हर वर्ष आयोजित होने वाली पुरी की श्री जगन्नाथ रथ यात्रा, न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर के करोड़ों श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है। इस 9 दिवसीय उत्सव में देश-विदेश से लाखों लोग भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के रथों को खींचने आते हैं। इस वर्ष 26 जून से 8 जुलाई तक आयोजित इस उत्सव में अडाणी ग्रुप ने भव्य सेवा अभियान शुरू किया है, जिसे प्रायोजन नहीं बल्कि "सेवा" कहा गया है।


अडाणी ग्रुप की सेवा: श्रद्धा और समर्पण का संगम

अडाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडाणी की विचारधारा – “सेवा ही साधना है” इस पहल की आत्मा है। इस दर्शन के अनुसार, सेवा करना सिर्फ एक जिम्मेदारी नहीं बल्कि आत्मिक साधना है। पुरी रथ यात्रा के दौरान अडाणी ग्रुप का सेवा अभियान इसे जीवंत बनाता है:

  • अब तक 40 लाख भोजन और पेय पदार्थ निःशुल्क वितरित किए जा चुके हैं।

  • तीर्थयात्रियों और फ्रंटलाइन अधिकारियों को पौष्टिक भोजन प्रदान करने के लिए विशेष फूड काउंटर स्थापित किए गए हैं।

  • ओडिशा की तेज गर्मी से राहत देने के लिए ठंडे पेय पदार्थों की दुकानें पूरे पुरी शहर में लगाई गई हैं।


सुरक्षा और स्वच्छता में भी भागीदारी

सिर्फ भोजन ही नहीं, अडाणी ग्रुप की सेवा में स्वास्थ्य, सुरक्षा और स्वच्छता का भी विशेष ध्यान रखा गया है:

  • पुरी बीच पर लाइफगार्डों को सहायता, विशेष तौर पर प्लास्टिक कचरे की सफाई के लिए स्वयंसेवक नियुक्त

  • मुниципल कर्मचारियों के लिए फ्लोरोसेंट सुरक्षा जैकेट

  • अधिकारियों और स्वयंसेवकों के लिए टी-शर्ट, जैकेट, रेनकोट, टोपी और छाते की मुफ्त आपूर्ति।

इस सेवा की खास बात यह है कि यह पुरी जिला प्रशासन, इस्कॉन और स्थानीय स्वयंसेवी संगठनों के साथ मिलकर चल रही है। यह सहभागिता बताती है कि यह किसी एक संगठन की पहल नहीं, बल्कि सामूहिक समर्पण की मिसाल है।


सेवा का भाव: प्रायोजन नहीं, परमार्थ

सूत्रों के अनुसार, अडाणी ग्रुप इस सेवा को कॉर्पोरेट प्रायोजन नहीं बल्कि भारतीय आध्यात्मिक और सांस्कृतिक जीवन का हिस्सा मानता है। अडाणी फाउंडेशन लंबे समय से ओडिशा में ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा अवसंरचना और आजीविका विकास पर कार्य कर रहा है।

पुरी में रथ यात्रा के दौरान अडाणी ग्रुप की सक्रिय भागीदारी यह दर्शाती है कि सामाजिक सेवा अब केवल CSR (कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व) तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत की आत्मा – धर्म, संस्कृति और करुणा से जुड़ने का एक सशक्त माध्यम बन चुकी है।


महाकुंभ में भी अडाणी सेवा की थी मिसाल

इस वर्ष जनवरी में प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ मेले में अडाणी ग्रुप ने इस्कॉन और गीता प्रेस के साथ मिलकर भोजन वितरण, स्वास्थ्य शिविर, और यात्रियों के कल्याण के लिए बड़े पैमाने पर सेवाएं दी थीं। खुद गौतम अडाणी ने 21 जनवरी को कुम्भ में पहुँचकर व्यक्तिगत रूप से सेवा में भाग लिया था, जिससे यह संदेश स्पष्ट हो गया कि अडाणी ग्रुप सेवा को व्यवसायिक दायित्व नहीं, बल्कि आत्मिक साधना मानता है।


रथ यात्रा बनाम महाकुंभ: भाव की गहराई

एक वरिष्ठ स्वयंसेवक के अनुसार – "अगर महाकुंभ पैमाने (scale) का प्रतीक है, तो पुरी रथ यात्रा आत्मीयता (intensity) की प्रतीक है।"
पुरी में भले ही तीर्थयात्रियों की संख्या कम हो, लेकिन आयोजन की आध्यात्मिक ऊर्जा और प्रबंधन की जटिलता कहीं अधिक होती है। ऐसे में अडाणी ग्रुप की भागीदारी विश्वास और संस्कृति के प्रति समर्पण का उदाहरण है।


निष्कर्ष: एक नया सामाजिक-आध्यात्मिक मॉडल

अडाणी ग्रुप की पुरी रथ यात्रा में भागीदारी एक नई CSR परिभाषा को जन्म देती है – जहां सेवा, संस्कृति और कॉर्पोरेट शक्ति मिलकर एक आध्यात्मिक-समाजिक मॉडल बनाते हैं।

यह मॉडल न केवल धार्मिक उत्सवों में सेवा के माध्यम से लाखों लोगों की जरूरतें पूरी करता है, बल्कि समाज में सांस्कृतिक जागरूकता, पर्यावरण संरक्षण, और मानवीय मूल्यों को भी बढ़ावा देता है।

सेवा ही साधना है – और अडाणी ग्रुप की यह पहल इसी दर्शन की व्यावहारिक अभिव्यक्ति है।


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