बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही राजनीतिक गहमागहमी तेज हो गई है। इसी बीच, सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेज़ी से वायरल हो रहा है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की मौजूदगी वाली एक चुनावी सभा में कथित तौर पर "वोट चोर, गद्दी छोड़" के नारे लगाए गए। यह वीडियो शेयर करते हुए कई यूज़र्स ने दोनों नेताओं पर तंज कसा है, जिससे भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है। वायरल वीडियो को एक हालिया चुनावी रैली का बताकर शेयर किया जा रहा है। एक फेसबुक यूज़र ने इसे पोस्ट करते हुए लिखा, "गज़ब का नारा लगा दिया जब मंच पर नीतीश कुमार जी सम्राट चौधरी मंच साझा कर रहे थे फिर क्या बिहार की जनता वोट चोर गद्दी छोड़ का जबरदस्त नारा लगा दिया सब के सब एक दूसरे को ताकतें रहे।"
सच्चाई क्या है? फ़ैक्ट चेक में हुआ खुलासा
आजतक फ़ैक्ट चेक की पड़ताल में यह दावा पूरी तरह से झूठा पाया गया है। वायरल वीडियो एडिटेड है और इसमें "वोट चोर, गद्दी छोड़" के नारों का ऑडियो अलग से जोड़ा गया है।
सच्चाई का पता कैसे चला:
रिवर्स इमेज सर्च: वीडियो के कीफ्रेम्स को रिवर्स सर्च करने पर, यह वीडियो 24 सितंबर को सासाराम में हुए एनडीए कार्यकर्ता संवाद कार्यक्रम का निकला। मूल वीडियो की जाँच: इस कार्यक्रम की 25 सितंबर की न्यूज़ रिपोर्ट्स में वायरल वीडियो वाला हिस्सा देखा गया। मूल वीडियो में कहीं भी "वोट चोर गद्दी छोड़" जैसे नारे सुनाई नहीं दिए। आधिकारिक पुष्टि: जदयू (JDU) ने भी 24 सितंबर को इस कार्यक्रम से जुड़ी तस्वीरें अपने आधिकारिक फेसबुक पेज पर शेयर की थीं। सासाराम संवाददाता के अनुसार, सीएम नीतीश कुमार ने 24 सितंबर को सासाराम में चार अलग-अलग कार्यक्रमों में भाग लिया था, और कहीं भी ये नारे नहीं लगे थे। ऑडियो की चोरी: पड़ताल में 29 अगस्त को यूट्यूब पर पोस्ट किया गया एक अन्य वीडियो मिला, जिसमें ठीक वही नारे लगाए जा रहे थे जो वायरल वीडियो में सुनाई दे रहे हैं। यह साफ है कि सासाराम रैली के विजुअल में बाद में यह ऑडियो जोड़ा गया है।
'वोट चोर गद्दी छोड़' अभियान का संदर्भ
यह नारा, "वोट चोर गद्दी छोड़", असल में कांग्रेस पार्टी का एक अभियान है जिसे वह महाराष्ट्र और कर्नाटक सहित अलग-अलग राज्यों में चला रही है। यह नारा तब चर्चा में आया जब नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने महाराष्ट्र और कर्नाटक में कथित वोट चोरी का आरोप लगाते हुए चुनाव आयोग और बीजेपी पर मिलीभगत का आरोप लगाया था। निष्कर्ष यह है कि नीतीश कुमार और सम्राट चौधरी की रैली में नारे लगने का दावा करने वाला वीडियो फेक है और राजनीतिक लाभ के लिए भ्रम फैलाने के उद्देश्य से ऑडियो एडिटिंग का इस्तेमाल किया गया है।